युवा उत्सव में छात्र-छात्राओं ने मॉब लिंचिंग, सोशल मीडिया के साइड इफैक्ट्स बताये

ग्वालियर।आजकल मॉब लिंचिंग की घटनाएं अक्सर सुनाई देती हैं। कभी बच्चा चोरी के नाम पर तो कभी किसी के नाम पर। मॉब लिंचिंग का शिकार अक्सर निर्दोष लोग भी हो जाते हैं। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए अवेयरनेस जरूरी है। इसी तरह से आजकल युवा पीढ़ी सोशलसाइट आदी हो गई है।वह फेसबुक, व्हाट्सएप, गूगल आदि में इतना खो गया है कि इसके कारण वह घर या समाज की घटनाओं से अपडेट नहीं हो पा रहा। वर्तमान में समाज में घट रही इस तरह की ज्वलंत समस्याओं को कुछ मिनटों के रोल प्ले के माध्यम से समाज और युवापीढ़ी को संदेश देने की कोशिश की। उनके प्ले को देखते हुए बीच-बीच में ऑडियंस भी भावविभो रहो गई। मौका था अंतर जिला विश्वविद्यालय स्तरीय युवा उत्सव के दूसरे दिन का। गुरूवार को 6 विधाओं के तहत 29 टीमों ने भाग लेकर अपने टैैलेंट का परिचय दिया।इस अवसर पर जेयू के छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. केशव सिंह गुर्जर मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आदर्शन सिमोलिया ने किया।


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चिट्ठी से बताया शिक्षा का महत्व


एक चिट्ठी नाम से हुई एकांकी में युवा कलाकारो ने शिक्षा का महत्व बताया। इसमें बताया गया कि गांव के एक गरीब, अनपढ़ माता-पिता के पास फौज से एक चिट्ठी आती है, जिसे पढ़वाने के लिए वो गांव के चौधरी सहित कई लोगों के पास जाता है। दो-तीन दिन गुजरने पर भी वह चिट्ठी कोई नहीं पढ़ता। इसके उलट उस व्यक्ति से काफी काम करा लिया जाता है। अंत में एक स्कूली छात्रा उस चिट्ठी को पढ़ती है, जिसमें उनके बेटे के शहीद होने की सूचना होती है, तब उन्हें अपने अनपढ़ होने का पछतावा होता है। नाटक के अंत में करूण रस ने सब को भाव-विभोर कर दिया।


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सोशल मीडिया में खोता युवा


इसी तरह से सोशल मीडिया नाटक के माध्यम से बताया गया कि आजकल युवा सोशल मीडिया पर ज्यादा व्यस्त हो गया है। युवा पीढ़ी इस वर्चुअल दुनिया में इतनी खो गई है कि उसे समाज और देश की घटनाओं की कोई जानकारी ही नहीं है।


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बताई सेरोगेसी की समस्या


रबड़ी नाटक के माध्यम से सेरोगेसी की समस्या को उजागर किया गया। इसमें बताया गया कि एक महिला सेरोगेट मदर बनना चाहती है।वह जिस बच्ची जन्म देती है, वो मंदबुद्धि होती है, फलस्वरूप उसके असली माता-पिता उस बच्ची को स्वीकार करने से मना कर देते हैं। काफी परेशानी के बाद वो महिला ही उस बच्ची पालना स्वीकार करती है। इस नाटक के माध्यम से संदेश दिया गया कि सेरोगेसी से होने वाले बच्चे में डिफेक्ट होने पर माता-पिता उसे स्वीकार नहीं करते, ऐसे में सेरोगेट मदर को परेशानी उठानी पड़ती है।


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माईम से बताया पेड़ों का महत्व


इसी क्रम युवा कलाकारों ने माईम के माध्यम से पेड़ों व पर्यावरण का महत्व बताने की कोशिश की। इसके बाद माईम के माध्यम से ही कलाकारों ने एकता का संदेश दिया।


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रंगोली से दिया बेटी बचाओ का संदेश


क्ले मॉडलिंग में पारंपरिक वाद्ययंत्र विषय पर युवा कलाकारों ने मिट्टी से सितार, तबला, सारंगी और डमरू जैसे वाद्य यंत्र बनाए। इसमें 5 टीमों ने भाग लिया। इसी तरह से रंगोली को फ्रीहेंड रखा गया।उसमें प्रतिभागियों ने रंगों से बेटी बचाओ-पढ़ाओ, मोर जैसी आकृतियां बनाईं। इसमें 4 टीम ने भाग लिया।


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ये रहे जजेज


थियेटर- अरूण काटे, शकील अख्तर और अशोक आनंद,


फाइनआर्ट-एसएमभांड, प्रो एसके श्रीवास्तव और मनोहर कोखले।